
क्या में शायर हूं?
मुझे शब्दों से खेलना
अच्छा लगता हैं।
तोड़ मरोड़ कर
बातें बनाना अच्छा लगता हैं।
तो क्या में शायर हूं?
दिल की बात होठों पर
लाने का इंतज़ार रहता हैं।
मन की आहें
ज़ुबान पर आए,
ये ख्वाब पूरा करना हैं।
तो क्या में शायर हूं?
एक ही बात को
अलग – अलग रूप देना चाहती हूं।
सीधी सी वाणी को
सजाना चाहती हूं।
तो क्या में शायर हूं?
अपने ही अल्फ़ाज़
हसाते हैं मुझे
अपने ही शब्दों से
रो भी पड़ती हूं
तो क्या में शायर हूं?
अपने मुं मिया मिट्ठू बने
तो क्या फायदा?
आप मेरा लेखा पड़े
आप हसें, आप रोए
आप समझें, आप बताएं,
क्या में शायर हूं?
#Shamim Merchant
Shamim Merchant
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