मैं खुद को भुल जाती हुं, तेरे करीब आने से
की मैं मैं नहीं रहती, तेरे मुझको बुलाने पे
मेरी आँखों की हया, ओर धड़कनों की सरगम
कुछ गुनगुनाती है, तेरी सुरत दिखाने पे
तलब मुझको युं तेरी है, की सीने से मैं लग जाऊ
मैं दुनिया भुला दुं गी, तेरे महोबत्त दिखाने पे
ना मुझको ओर कोई भाता , ना ज़िक्र-ए तू रुक पाता
क्या ये इश्क़ रूह का है , तेरा मेरी रूह चुराने से
बस बांध लो मुझको तुम अपने इश्क़ के धागे में
ये दुनिया समझ नहीं सकती, तेरा मेरे हो जाने पे
#SuDhi
SuDhi
nice lines sudhi😊
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THankuu Mr Abhi
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yrs wlcm
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बहुत हि बेहतरीन पंक्तियाँ लिखा है
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Thankkuu
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